18 साल की उम्र में कॉलेज एंट्रेस में किया टॉप
राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ। राजेंद्र प्रसाद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छपरा (बिहार) के जिला सरकारी स्कूल से पूरी की। महज 18 साल की उम्र में राजेंद्र प्रसाद को कोलकाता विश्वविद्यालय में एडमिशन मिला जिसकी एंट्रेस परीक्षा में उन्होंने टॉप किया था। कॉलेज पूरा करने के बाद फिर वो कोलकाता के फेमस प्रेसीडेंसी कॉलेज पहुंचे और वहां से डॉक्टरेट किया।
कई भाषाओं के थे जानकार
राजेंद्र प्रसाद को हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा उर्दू, बंगाली और फारसी भाषाओं में भी महारथ हासिल थी। 13 साल की उम्र में ही राजवंशीदेवी से इन्होंने शादी कर ली। अपने कॅरियर को वकील के रूप में शुरू करने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई
देश के पहले राष्ट्रपति बने
राजेंद्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति बनने का भी गौरव हासिल है। वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बनने का भी मौका मिला जिसमें इनका कार्यकाल काफी सराहनीय रहा। राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक संभाली। वहीं कुछ समय के लिए राजेंद्र प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री के रूप में भी काम किया।
काम करने का अंदाज था एकदम अलग
देश के पहले राष्ट्रपति के अलावा राजेंद्र प्रसाद को अपने काम करने के अंदाज के लिए भी जाना जाता है। उनको अपने कार्यकाल के दौरान “बिहार का लाल” और “देशरत्न” जैसे संबोधन भी दिए गए। अपने पद पर रहते हुए राजेंद्र प्रसाद ने अपने संवैधानिक अधिकारों का हनन कभी नहीं होने दिया वहीं किसी भी सरकार को अपने काम में दखल नहीं देने दी।
उनके काम करने के अंदाज में एक अलग तरह की निष्पक्षता थी। उनके कार्यकाल के दौरान एक किस्सा बहुत चर्चा में रहा जब वो अपनी बहन भगवती देवी के निधन के बाद उनके दाह संस्कार में जाने के बजाय उसी दिन होने वाले भारतीय गणराज्य के स्थापना समारोह में पहुंच गए।
देश के राष्ट्रपति पद पर राजेंद्र प्रसाद ने 12 साल तक सेवा दी और 28 फरवरी 1963 को इस दुनिया से हमेशा के लिए अलविदा कह गए।